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आदिनाथ भगवान चालीसा | Adinath Chalisa in Hindi With PDF | Adinath Chalisa PDF

आप सभी पाठको के लिए पेश है आदिनाथ चालीसा हिंदी में (Adinath Chalisa in Hindi)। 

Adinath Chalisa in Hindi With PDF

आप आदिनाथ चालीसा को ऑनलाइन पढ़ भी सकते है और साथ ही  आदिनाथ चालीसा pdf (Adinath Chalisa PDF) को अपने फ़ोन में डाउनलोड भी कर सकते है बिना इंटरनेट के पढ़ने के लिए।



Adinath Chalisa in Hindi 

दोहा

शीश नवा अरिहंत को, सिद्धन को, करुं प्रणाम |
उपाध्याय आचार्य का ले सुखकारी नाम ||
सर्व साधु और सरस्वती जिन मन्दिर सुखकार |
आदिनाथ भगवान को मन मन्दिर में धार ||

चौपाई

जै जै आदिनाथ जिन स्वामी, तीनकाल तिहूं जग में नामी |
वेष दिगम्बर धार रहे हो, कर्मों को तुम मार रहे हो ||
हो सर्वज्ञ बात सब जानो सारी दुनियां को पहचानो |
नगर अयोध्या जो कहलाये, राजा नाभिराज बतलाये ||

मरुदेवी माता के उदर से, चैत वदी नवमी को जन्मे |
तुमने जग को ज्ञान सिखाया, कर्मभूमी का बीज उपाया ||
कल्पवृक्ष जब लगे बिछरने, जनता आई दुखड़ा कहने |
सब का संशय तभी भगाया, सूर्य चन्द्र का ज्ञान कराया ||

खेती करना भी सिखलाया, न्याय दण्ड आदिक समझाया |
तुमने राज किया नीति का, सबक आपसे जग ने सीखा ||
पुत्र आपका भरत बताया, चक्रवर्ती जग में कहलाया |
बाहुबली जो पुत्र तुम्हारे, भरत से पहले मोक्ष सिधारे ||

सुता आपकी दो बतलाई, ब्राह्मी और सुन्दरी कहलाई |
उनको भी विद्या सिखलाई, अक्षर और गिनती बतलाई ||
एक दिन राजसभा के अन्दर, एक अप्सरा नाच रही थी |
आयु उसकी बहुत अल्प थी, इसीलिए आगे नहीं नाच रही थी ||

विलय हो गया उसका सत्वर, झट आया वैराग्य उमड़कर |
बेटों को झट पास बुलाया, राज पाट सब में बंटवाया ||
छोड़ सभी झंझट संसारी, वन जाने की करी तैयारी |
राव (राजा) हजारों साथ सिधाए, राजपाट तज वन को धाये ||

लेकिन जब तुमने तप किना, सबने अपना रस्ता लीना |
वेष दिगम्बर तजकर सबने, छाल आदि के कपड़े पहने ||
भूख प्यास से जब घबराये, फल आदिक खा भूख मिटाये |
तीन सौ त्रेसठ धर्म फैलाये, जो अब दुनियां में दिखलाये ||

छैः महीने तक ध्यान लगाये, फिर भोजन करने को धाये |
भोजन विधि जाने नहिं कोय, कैसे प्रभु का भोजन होय ||
इसी तरह बस चलते चलते, छः महीने भोजन बिन बीते |
नगर हस्तिनापुर में आये, राजा सोम श्रेयांस बताए ||

याद तभी पिछला भव आया, तुमको फौरन ही पड़धाया |
रस गन्ने का तुमने पाया, दुनिया को उपदेश सुनाया ||
तप कर केवल ज्ञान पाया, मोक्ष गए सब जग हर्षाया |
अतिशय युक्त तुम्हारा मन्दिर, चांदखेड़ी भंवरे के अन्दर ||

उसका यह अतिशय बतलाया, कष्ट क्लेश का होय सफाया |
मानतुंग पर दया दिखाई, जंजीरें सब काट गिराई ||
राजसभा में मान बढ़ाया, जैन धर्म जग में फैलाया |
मुझ पर भी महिमा दिखलाओ, कष्ट भक्त का दूर भगाओ ||

सोरठा 

पाठ करे चालीस दिन, नित चालीस ही बार |
चांदखेड़ी में आय के, खेवे धूप अपार ||
जन्म दरिद्री होय जो, ; होय कुबेर समान |
नाम वंश जग में चले, जिनके नहीं सन्तान ||


Adinath Chalisa PDF

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